Jodhpur के नीले घरों के बीच बना हुआ है MEHRANGARH FORT 400 feet की उँचाईं पर ! यहाँ से दिखता है पूरे शहर का ख़ूबसूरत नज़ारा…..
Jodhpur सिर्फ़ अपने खानपान के लिए ही नहीं बल्कि अपने नीले शहर के लिए भी प्रसिद्ध है और यहाँ का प्राचीन MEHRANGARH FORT है Jodhpur की पहचान भी । कई लोग इसे श्रापित क़िला भी कहते हैं तो आइए आज इस article में जानेंगे MEHRANGARH FORT की रहस्यमय कहानी और इससे जुड़ी हर कड़ी ।
भव्य MEHRANGARH FORT कि ख़ासियत क्या है???
बात अगर बड़े बड़े क़िलो की हो रही हो भारत में ,तो Jodhpur के MEHRANGARH का नाम लेना कभी भुला नहीं जाता , जो कि बना हुआ है 120 meter ऊँची पहाड़ी पर और देश विदेश से लोग सिर्फ़ इसे देखने के लिए आते हैं इतना ख़ूबसूरत है , साथ ही शहर के हर कोने से दिखता है इतनी ऊँचाई पर बना हुआ है । MEHRANGARH FORT में बने हुए हैं राजा- महाराजाओं के बेहतरीन महल और उन की चीज़ें जिन को देखने के लिए लोग वहाँ जाते हैं, यहाँ पर रखी गई हैं कुछ प्राचीन और देखने लायक अदभूत चीज़ें museum में जो सभी tourists और Travelers को करती है आकर्षक।
क्या है MEHRANGARH FORT के पीछे की कहानी और क्यों कहा जाता है इसे श्रापित??
MEHRANGARH FORT सिर्फ़ एक श्रापित FORT ही नहीं है बल्कि एक पहचान है वीरता और बलिदान की | MEHRANGARH FORT इतना शक्तिशाली है कि आज तक पूरे इतिहास में कभी कोई बाहरी शक्ति इस पर कब्ज़ा नहीं कर पाई….
साल 1459 में Rao Jodha जो की मारवाड़ के बहूत ही बहादुर शासक थे , उनकी एक इच्छा थी कि वह Jodhpur में एक ऐसा क़िला बनवाए जो ख़ूबसूरत के साथ प्राचीन और मज़बूत भी हो । कुछ अलग करने की उम्मीद में उन्होंने एक चट्टान पर यह क़िला बनाने की सोची और शहर के बाहरी इलाक़े में से इस चट्टान का चुनाव किया । जब क़िले की नींव डाल इसका निर्माण शुरू किया गया तो एक चिंतामन ऋषि को यह बात बिलकुल पसंद नहीं आयी । माना जाता है चिंतामन जो एक ऋषि थे वह उस चट्टान par पक्षियों को दान डाला करते थे जो Rao Jodha ने अपने क़िले के लिए चुनी और वहाँ से हटा दी ।
लेकिन जैसा कि Rao Jodha एक शासक थे तो उनके आदेश पर चिंतामन को वहाँ से जाना पड़ा ग़ुस्से में और जाते – जाते चिंतामन ने Rao Jodha को एक श्राप दिया की जो इस चट्टान पर क़िला बनेगा उसके बाद से पूरे शहर में हमेशा सूखा रहेगा और पानी की कमी रहेगी ।
श्राप से Rao Jodha काफ़ी घबरा गए और उन्होंने चिंतामन से माफ़ी माँगी वह श्राप को वापस लेने को कहा किंतु ऐसा न हुआ । तब वह एक सनतनी के पास गए जिनका नाम था करणी माता । उन्होंने चिंतामन को समझाया और श्राप से मुक्ति का रास्ता बताया Rao Jodha को ।
क्या रास्ता था श्राप से मुक्ति का??
क़िले की नींव में एक ज़िंदा व्यक्ति को दफ़नाना यही था श्राप से मुक्ति पाने का इकलौता रास्ता , लेकिन Rao Jodha कभी यह नहीं चाहते थे कि कोई भी व्यक्ति अपने जीवन का ऐसा बलदान दें । तब भी उनके एक दरबारी ने अपनी इच्छा जतायी और बलिदान देने के लिए , जिसका नाम था रत्न सिंह । रत्न सिंह को बहूत ही सम्मान के साथ नींव में दफ़ना दिया गया और आज भी रत्न सी सिंह के इस बलिदान की चर्चा हर ज़ुबान पर है ।
ऐसे शुरू हुआ MEHRANGARH FORT का निर्माण…
श्राप से मुक्ति दिलाने के बाद करणी माता ने नींव डाली और ऐसे शुरू हुआ भव्य MEHRANGARH FORT का निर्माण । Rao Jodha के जाने के बाद कई राजाओं ने 150 साल तक अपना योगदान दिया इस क़िले के निर्माण को पूरा करवाने के लिए ।
आज भी मेहरानगढ़ क़िले में रत्न सिंह की समाधि बनायी हुई है कहाँ लोग माथा टेक कर अपनी श्रद्धांजलि सम्मानपूर्वक उनको अर्पित करते हैं ।
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